लिखित्वा हृदि तन्नाम तं ध्यात्वा प्रजपेन् मनुम्। बार-बार मैं बिनवहुं तोहीं। अविरल भगति ज्ञान दो मोहीं।। सन्तशरण को तनय हूं, कुलपति मिश्र सुनाम। बगला सम तब आनन माता। एहि ते भयउ नाम विख्याता।। ब्रह्मास्त्राख्यो मनुः पातु सर्वांगे सर्वसन्धिषु। Choices: Offerings Of bouquets, fruits, sweets, and incense tend to be designed https://www.instagram.com/tantramantraaurvigyaan/reel/DA6ACEaONEJ/
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